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सोमवार को वरुण धवन की मेजबानी में आलिया भट्ट, अभिषेक बच्चन, अक्षय कुमार और अजय देवगन जूम कॉल पर अपनी अपकमिंग फिल्मों की रिलीज की अनाउंसमेंट कर रहे हैं। इन सब सितारों की फिल्म आने वाले महीनों में डिजनी प्लस हॉटस्टार प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही हैं। आलिया भट्ट की सड़क 2, अभिषेक बच्चन की ' द बिग बुल', अक्षय कुमार की लक्ष्मी बम और अजय देवगन की भुज हैं। भारतीय सिनेमा के इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब एक साथ इतने बड़े नामों की फिल्में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही हैं। डिजनी प्लस हॉटस्टार अपने प्लेटफार्म पर बॉलीवुड की होम डिलीवरी कैंपेन के नाम से रिलीज करता रहेगा। इसके तहत उसने अभी फिलहाल 8 से 9 फिल्मों को एक्वायर किया है।
अगस्त सितंबर के बाद सिनेमाघरों के खुलने की स्थिति को देखते हुए आगे की फिल्मों की अनाउंसमेंट की जाएगी। सोमवार को आयोजन में अभिषेक बच्चन, अजय देवगन, अक्षय कुमार, आलिया भट्ट ओटीटी प्लेटफॉर्म के भविष्य पर भी चर्चा करेंगे। सूत्रों ने बताया है कि वरुण धवन फिलहाल इस कार्यक्रम की मेजबानी करेंगे। उनकी फिल्म 'कुली नंबर वन' को लेकर अभी क्लेरिटी नहीं है कि वह भी डिजिटल पर आ रही है कि नहीं? ' बॉलीवुड की होम डिलीवरी के तहत अगस्त में किस फिल्म के साथ शुरुआत की जाएगी, उस पर अधिकारिक घोषणा आयोजन में की जाएगी।
डिज्नी प्लस हॉटस्टार उस कंपनी के तहत आती है जिसके दायरे में स्टार प्लस, स्टार गोल्ड भी है उन सब के साथ अजय देवगन, अक्षय कुमार का पुराना नाता रहा है। अजय देवगन और सलमान खान के साथ स्टार की कुछ साल पहले 400 करोड़ की डील हुई थी। लिहाजा अजय को जब कंपनी में भुज डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने का ऑफर दिया तो अजय मना नहीं कर सके। अक्षय कुमार की हाउसफुल सीरीज की फिल्में भी इसी कंपनी के साथ बनती और डिस्ट्रीब्यूट होती रही हैं। अभिषेक बच्चन की द बिग बुल भी अजय देवगन के को-प्रोडक्शन की है।
अगस्त के अंत में रिलीज हो सकती है सड़क 2
आलिया भट्ट की सड़क कि कुछ दिनों की शूटिंग बाकी है पोस्ट प्रोडक्शन का काम होना है ऐसे में उसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अगस्त के आखिरी शुक्रवार तक रिलीज किया जा सकता है। आलिया का इस तरह का पहला एसोसिएशन इस कंपनी के साथ है।
डिजिटल रिलीज से सिनेमाघरों को खतरा नहीं
इन बड़े सितारों की फिल्मों के डिजिटल पर जाने से डिस्ट्रीब्यूटर और एग्जीबिटर बिरादरी ने कड़ा विरोध अभी तक दर्ज नहीं किया है। डिस्ट्रीब्यूटर अक्षय राठी का कहना है,' फिल्मों को कहां पर देना है, इसका अधिकार और फाइनल कॉल हमेशा प्रोड्यूसर का होता है। वह फिल्में बनाते हैं। निर्माताओं और एक्जीबिटर के बीच पिछले 100 सालों का संबंध है। वह कभी नहीं टूटेगा। अच्छी बात यह है कि सिनेमा हर हाल में रहेगा। सिनेमाघरों में नए कंटेंट की कमी नहीं है, वे जब भी खुलें तब चलेंगे।
6 महीने में तैयार हो रही हैं फिल्में
टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो चुकी है कि 6 महीने में ही बड़े बजट की फिल्में भी शूट होकर रिलीज की दहलीज तक पहुंच जाती है। ऐसा रोहित शेट्टी से लेकर संजय लीला भंसाली तक भी कर लेते हैं। अक्षय कुमार तो साल में ऐसी चार फिल्में तैयार कर लेते हैं। तो हिंदी और गैर हिंदी भाषी फिल्मों को जोड़ लिया जाए तो अगले छह, आठ महीने में सिनेमाघरों के लिए भरपूर कंटेंट रहने वाला है। वे जैसे ही खुलते हैं, वैसे ही काम शुरू हो जाएगा। शुरुआत पुरानी फिल्मों की रिलीज से होगी, जैसे ऑस्ट्रेलिया, फिजी, न्यूजीलैंड में रोहित शेट्टी की फिल्में सिंबा और गोलमाल अगेन रिलीज हुई हैं।
कोरोनावायरस की वजह से पूरा देश गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। इसे देखते हुए यूनिसेफ इंडिया ने बच्चों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने की मुहिम शुरू की है। मानुषी छिल्लर इस कैंपेन की आवाज बनने जा रही हैं। एक्ट्रेस देश के नागरिकों से अपील कर रही हैं कि वे बेहद जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए हाथ बढ़ाएं।
मानुषी कहती हैं, "मैं बेहद खुशकिस्मत और भाग्यशाली रही हूं, क्योंकि मेरा बचपन काफी सुरक्षित, स्वस्थ और खुशहाल था। आज मुझे अपनी परवरिश की अहमियत का एहसास होता है, जिसने मेरे वैल्यू सिस्टम के साथ-साथ दुनिया तथा लोगों के प्रति मेरे नजरिए को प्रभावित किया और आकार दिया है। आज मैं जो कुछ भी हूं, उसमें मेरे बचपन की परवरिश का अहम योगदान है।”
वह आगे कहती हैं, "मुझे यह जानकर भी बहुत दु:ख हुआ कि हमारे देश में ऐसे कई बच्चे हैं जिन्हें वैसा बचपन नहीं मिल पाता है, जिसके वे हकदार हैं। इन दिनों में फैली महामारी से उनके लिए खतरा और बढ़ गया है, क्योंकि कम उम्र के ये बच्चे ज्यादा असुरक्षित हैं। लेकिन हम साथ मिलकर इस स्थिति में बदलाव ला सकते हैं।”
इस खास इनिशिएटिव के बारे में मानुषी कहती हैं, “बेहद असुरक्षित हालात में रहने वाले इन बच्चों को यूनिसेफ तत्काल सहायता प्रदान कर रहा है और उनके जीवन की रक्षा कर रहा है। मैं उनका समर्थन कर रही हूं और आप भी कर सकते हैं। चाइल्डहुड चैलेंज इनिशिएटिव को अपना समर्थन देने के लिए, अपने बचपन के यादगार लम्हों को हमारे साथ शेयर करें, तथा जिस साल आपका जन्म हुआ था उसके बराबर की राशि यूनिसेफ को दान करें। आइए हम सभी बच्चों के लिए इस दुनिया को बेहतर बनाने, तथा खासतौर पर संकट की इस घड़ी में उनका जीवन बचाने का संकल्प लें।"
अभिनेत्री अदा शर्मा ने हाल ही में एक एड शूट किया है। लॉकडाउन खुलने के बाद अदा पहली अदाकारा हैं जिन्होंने किसी ब्रांड के लिए शूट किया। दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान अभिनेत्री ने कोरोना महामारी के बीच शूट करने का अनुभव साझा किया। बातों ही बातों में उन्होंने अपने कुछ प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ से जुडी बातें भी शेयर की।
सेट पर एम्बुलेंस, डॉक्टर देखकर काफी अजीब लग रहा था:
ये एड चेन्नई में शूट में होने वाला था लेकिन मैं इस महामारी के माहौल में ट्रेवल नहीं करना चाहती थी इसीलिए मैंने टीम को मुंबई में ही शूट करने के लिए रिक्वेस्ट की। सेट पर एम्बुलेंस, डॉक्टर देखकर काफी अजीब लग रहा था। सभी लोग मास्क और PPE किट में थे। आमतौर पर मैं अपने हर शॉट के बाद अपने डायरेक्टर को देखती हूं। उनके हावभाव से पता चलता हैं की शॉट कितना शानदार रहा। हालांकि अब ऐसा नहीं हो पा रहा हैं। डायरेक्टर भी मास्क लगाए बैठे हैं (हँसते हुए)।
मेरे कई प्रोजेक्ट इस लॉकडाउन की वजह से अटके हैं:
लॉकडाउन से पहले मैंने एक वेब सीरीज साइन की थी 'द हॉलिडे' सीजन 2 जिसके लिए मुझे मेक्सिको जाना था। जाहिर हैं वो घर बैठे तो शूट नहीं कर सकते हैं। माहौल को देखकर लगता नहीं की शूट जल्दी शुरू कर पाएंगे। मेरे कई प्रोजेक्ट इस लॉकडाउन की वजह से अटके हैं जिनमे 'कमांडो 4' भी शामिल हैं। जिस तरह से सिचुएशन पूरी तरह से अस्थिर हैं, उसी तरह से फिलहाल मैं भी अपने करियर को लेकर अस्थिर हूं।
इंडस्ट्री में एक आउटसाइडर होने का एक अलग ही स्ट्रेस हैं:
कई एक्टर्स का मानना हैं की इस लॉकडाउन की वजह से उन्हें मेन्टल स्ट्रेस हुआ लेकिन मैं अपने आप को खुशनसीब मानती हूं कि मुझे ऐसी सिचुएशन को हैंडल करना आता हैं। जिस दिन मैंने एक्टर बनने का निर्णय लिया था तभी से मैंने सोच लिया था कि मेरा करियर अस्थिर रहने वाला हैं। मैं जानती थी कि मैं इस इंडस्ट्री में आउटसाइडर हूं और मुझे कई चुनौतियों का सामना करना होगा। हर सिचुएशन में खुश रखना सीख लिया है।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत हम आउटसाइडर के लिए सबसे बड़ा झटका था। वो बहुत ही टैलेंटेड थे, हम सबके लिए प्रेरणा थे। मैं उनकी मौत को अवसर नहीं बनाना चाहती हूं अपने स्ट्रगल की कहानी बताकर। हां, लेकिन स्ट्रगल होता जरूर हैं। इंडस्ट्री में एक आउटसाइडर होने का एक अलग ही स्ट्रेस हैं और हर कोई इससे गुजरता हैं। इस स्ट्रगल से बस मैंने हर पल पॉजिटिव तरीके से जीने की ठान ली है।
मैं रियलिटी शो के लिए कम्फर्टेबल नहीं हूं:
मैं बहुत ही प्राइवेट इंसान हूं और यही वजह हैं कि मैंने अब तक कोई भी रियलिटी शो के लिए हामी नहीं भरी। रियलिटी शोज में कहीं-न-कहीं आपकी निजी जिन्दगी लोगों तक पहुंचती हैं जिसमें मैं कम्फर्टेबल नहीं हूं। साथ ही एक अलग तरीके का प्रेशर भी होता हैं, जिसके लिए मैं तैयार नहीं हूं। हां, मुझे रियलिटी शोज देखना काफी पसंद हैं, खास तौर पर डांस बेस्ड रियलिटी शो।
अगर एक्टर नहीं होती तो सर्कस में काम करती:
अगर एक्टर नहीं होती तो सर्कस में काम करती। मुझे जानवरों से बहुत प्यार हैं तो बचपन में जब भी उन्हें देखती तो ऐसा लगता की मैं सर्कस में उनका ख्याल रखती। हालांकि वो ख्वाहिश मेरी अधूरी ही रह गई (हँसते हुए।)
कई सालों से असल कहानियों पर फिल्म बनाए जाने का ट्रेंड जारी है। साल 2020 जहां कोरोनावायरस, लॉकडाउन और गलवान वैली के चलते चर्चा में रहा वहीं कुछ मेकर्स ने भी इन मुद्दों पर फिल्म बनाने का विचार भी बना लिया है। इस संदर्भ में मधुर भंडारकर और दिनेश विजन समेत कई मेकर्स ने फिल्मों के नाम भी रजिस्टर करवा दिए हैं।
सूत्रों से पता चला है कि गलवान वैली बतौर टाइटल दिनेश विजन ने रजिस्टर किया है। उनकी वॉर जॉनर की फिल्मों में दिलचस्पी रही है। वह काफी दिनों से रियल इंसिडेंट पर एक वॉर फिल्म बनाना चाहते थे। गलवान वैली में भारतीय सैनिकों के साहस की कहानी है। चीन के पीछे हटने की बात भी है। ऐसे में उन्होंने इस टॉपिक पर फिल्म बनाने का मन बनाया है। इसी इरादे से उन्होंने अटैक के दूसरे दिन ही इस टाइटल की फिल्म रजिस्टर करवा ली।
कोरोना नाम के टाइटल से मधुर भंडारकर और आनंद एल राय ने टाइटल रजिस्टर किया है। एक कर्नाटक के प्रोड्यूसर हैं जिन्होंने सबसे पहले 4 मार्च को ही कोरोनावायरस टाइटल से फिल्म रजिस्टर कर ली। उन्होंने डेडली कोरोना नाम से फिल्म रजिस्टर की थी। कर्नाटक के प्रोड्यूसर होने के बावजूद वो फिल्म हिंदी में बनाने वाले हैं। आनंद एल राय ने कोरोनावायरस नाम से फिल्म रजिस्टर की। मधुर भंडारकर ने 'कोरोना 2020' से टाइटल रजिस्टर किया है। मधुर ने 'कोरोना लॉकडाउन' और 'इंडिया लॉकडाउन' नाम का टाइटल भी रजिस्टर किया है। इरॉस इंटरनेशनल की तरफ से 'कोरोना प्यार है' नाम का टाइटल भी रजिस्टर हुआ था।
इसके अलावा डिस्कवरी चैनल वालों ने कोविड-19 के नाम से टाइटल रजिस्टर किया है। वह इस पर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाले हैं। पैनोरमा यानी कुमार मंगत पाठक ने भी सेम कोविड-19 टाइटल से फिल्म रजिस्टर की है।
मार्च के महीने में कोरोनावायरस नाम के कई टाइटल रजिस्टर किए गए। उसके बाद ज्यादातर लोगों ने लॉकडाउन टाइटल पर रजिस्टर किया। कुछ ने लॉकडाउन शॉर्ट्स के नाम पर टाइटल रजिस्टर किया। वह फिल्म और सीरियल दोनों इस टाइटल पर बनाएंगे। इसे 'मेक इट हैपन्स' वालों ने रजिस्टर किया है। पंजाबी और भोजपुरी प्रोड्यूसरो ने भी लॉकडाउन नाम से फिल्म रजिस्टर की है।
बॉलीवुड में इन दिनों आउटसाइडर वर्सेस इंसाइडर की डिबेट गर्म है। अनुष्का शर्मा भी एक आउटसाइडर थीं, जब उन्होंने आदित्य चोपड़ा की रब ने बना दी जोड़ी में शाहरुख खान के साथ डेब्यू किया था। अब बतौर प्रोड्यूसर आउटसाइडर टैलेंट को मौका दे रही हैं। उनके बैनर की पहली फिल्म एनएच 10 थी। उसके बाद परी और पाताल लोक में उन्होंने आउटसाइडर को ब्रेक दिया।
इस बारे में अनुष्का कहती हैं, “मेरा बॉलीवुड में बहुत दिलचस्प सफर रहा है। मैंने कर्णेश के साथ अपनी प्रोडक्शन कंपनी के लिए अपने अनुभवों से उन महत्वपूर्ण सीखों को लागू करने की कोशिश की है। अपनी पहली फिल्म से ही, मैंने वास्तव में कड़ी मेहनत की, ताकि मुझे हमारे देश के कुछ सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्माताओं के साथ काम करने का मौका मिल सके। मेरी इच्छा हमेशा सर्वश्रेष्ठ लेखकों और निर्देशकों के साथ काम करने की थी। ”
जब मैं 25 साल की उम्र में एक निर्माता बन गई, तो मुझे स्पष्ट था कि मैं वास्तव में प्रतिभाशाली लोगों को पूरा मौका दूंगी, जो अपने शुद्ध, रॉ टैलेंट के साथ अपनी पहचान बनाने के लिए अपना सब कुछ दे देते हैं और जो फिल्मों के व्यवसाय में एक जमीन की तलाश में हैं। क्लीन स्लेट फिल्म्स तब से हमेशा कुछ शानदार प्रतिभाओं के लिए घर रहा है और हमने पूरी तरह से दुनिया के लिए अपनी अनफिल्टर्ड आवाज लाने की कोशिश की है। ”
अनुष्का के भाई कर्णेश शर्मा कहते हैं, “जब हमने क्लीन स्लेट फिल्म्स की शुरुआत की तो हम जानबूझकर बहुत सारी नई प्रतिभाओं के साथ काम करना चाहते थे और हमने लगातार अभिनेताओं, निर्देशकों और तकनीशियनों के साथ ऐसा किया है। नई प्रतिभाएं परियोजना के लिए जो ऊर्जा और ताजा विचार ला रही हैं, वह स्फूर्तिदायक है और हम ऐसा ही करते रहने का इरादा रखते हैं। हम उन कहानियों का पीछा करने के लिए भी बहुत भावुक हैं जो लीक से हटकर हैं।Fx
अनुष्का के पहले प्रोडक्शन एनएच 10 ने उन्हें निर्देशक नवदीप सिंह, अभिनेता नील भूपालम, दर्शन कुमार और लेखक (स्क्रीनप्ले) सुदीप शर्मा जैसे प्रतिभाशाली बाहरी लोगों के साथ सहयोग करते देखा, जो उनके लिए इस साल का सर्वश्रेष्ठ भारतीय डिजिटल शो पाताल लोक बनाने के लिए गए थे। फिल्लौरी में अनुष्का ने निर्देशक अंशई लाल और अभिनेत्री महरीन पीरजादा को लॉन्च किया और प्रतिभाशाली संगीतकार शशवत सचदेव की शुरुआत को भी अंजाम तक पहुंचाया, जिन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।
'परी' में अनुष्का ने निर्देशक प्रोसित रॉय का समर्थन किया। 'पाताल लोक' में उन्होंने जयदीप अहलावत, नीरज काबी, अभिषेक बनर्जी, निहारिका लायरा दत्त, आदि को मौकादिया। 'बुलबुल' में उन्होंने निर्देशक अंविता दत्त को लॉन्च किया और तृप्ति डिमरी, अविनाश तिवारी और सिनेमेटोग्राफर सिद्धार्थ दीवान जैसे टैलेंट का समर्थन किया।
अनुष्का कहती हैं, ''इन सभी सफलताओं के साथ ये प्रतिभाएं हमारी परियोजनाओं में देखी गई हैं। इन पर हमें बहुत गर्व है। हमारे लिए जो सबसे ज्यादा मायने रखता है, वह यह है कि हम वह स्टूडियो रहे हैं, जिसने देश भर से लगातार नई प्रतिभाओं को खोजने की कोशिश की है। हम इस प्रयास को सदा जारी रखेंगे।”
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से कई सवाल घुमड़ रहे हैं। देहांत की वजह इंडस्ट्री की खेमेबाजी बताई जा रही है। उनका परिवार मानने को तैयार नहीं है कि सुशांत डिप्रेशन में थे जिससे उन्होंने आत्महत्या की। इन सब मसलों पर सुशांत के करीबी दोस्त और प्रोड्यूसर संदीप सिंह से दैनिक भास्कर की खास बातचीत हुई है।
क्या सुशांत से ने डिप्रेशन के चलते ली जान?
हर इंसान की खुद की एक लड़ाई होती है। क्या मुझे स्ट्रगल नहीं करना पड़ रहा? क्या संजय लीला भंसाली को पद्मावत रिलीज करने के लिए स्ट्रगल नहीं करना पड़ा था? क्या शाहरुख खान को एक फिल्म हिट देने के लिए पिछले 5 साल से लड़ना नहीं पड़ रहा है? क्या ठग्स ऑफ हिंदुस्तान फ्लॉप हो जाए तो आमिर खान डिप्रेशन में चले जाएं? हम जब इंस्पायरिंग पर्सनैलिटी के रूप में करोड़ों लोगों के सामने आते हैं तो हम ऐसे कदम लें, जिनसे हमारे लोग और इंस्पायर हो जाएं।
सुशांत की टीवी से लेकर फिल्मों तक की जर्नी कैसी है?
एक आउटसाइडर इंसान,जो बिहार और दिल्ली से आकर टीवी की टॉप प्रोड्यूसर एकता कपूर के सीरियल करता है। नंबर वन बनता है। फिर सीरियल छोड़ता है। फिल्मों में आता है और 5 सालों में 12 टॉप की फिल्में करता है। उनमें से तीन 'सौ करोड़ क्लब' की फिल्में हैं। ब्योमकेश, राब्ता, धोनी, छिछोरे, पीके के तहत बड़े प्रोड्यूसर्स के साथ काम किया। अभी तो बस शुरुआत हुई थी बस 34 साल के थे 70 के नहीं। हर इंसान के पर्सनल लाइफ में दिक्कत होती है। रिश्तों की उठापटक रहती है। हम उन्हें कितना सीरियस लेते हैं, वह अहम सवाल है।
उनकी मौत पर सवाल क्यों खड़े हो रहे हैं?
सच कहूं तो सवाल न सुशांत की फैमिली ने खड़े किए हैं, न पुलिस ने। कोई नेपोटिज्म, कोई डिप्रेशन, कोई ब्रेकअप वजह के तौर पर पेश कर रहा है। कोई बोल रहा है पैसे नहीं थे उसके पास। फिल्में छीन ली गई थीं उनसे। हर तरह का नैरेटिव चल रहा है। दुर्भाग्य तो यह है कि इन्हीं सारी वजहों और नैरेटिव में हमें ऑप्शन दिया जा रहा है कि इसमें से ही सेलेक्ट करके बताइए कि क्या यही वजह थी आत्महत्या की? जिनको रीजन बताना था, वह तो चले गए और जिन वजह से वह दुनिया छोड़कर गया, मीडिया वापस उन्ही वजहों को सामने ला रही है।
आपके साथ कब तक संपर्क में थे वह?
इंसान जब डिप्रेशन में आता है तो वह लोग बाहरी संपर्क से दूर हो ही जाता है। हम आप सब डिप्रेशन में हैं। मैं भी डिप्रेशन हूं। लेकिन दीपिका पादुकोण हमारे सामने एक उदाहरण हैं। वह डिप्रेशन में आई तो उन्होंने खुलकर उसका सामना किया। डॉक्टर से सलाह ली। मेडिसिन लिया और मीडिया में आकर कहा। एक्सेप्ट किया कि मैं अभी अपने करियर के इस मुकाम पर डिप्रेशन में हूं। यह मत सोचिए कि डिप्रेशन सिर्फ 1 या 2 साल में होने वाली या आने वाली चीज है। वह आज भी उस फेस से गुजरती और उबरती रहती हैं। लेकिन इसका उन्होंने सामना किया।
सुशांत ने कभी आपसे डिप्रेशन के बारे में शेयर किया?
मैं जब टीवी सीरियल सरस्वती चंद्र बना रहा था तो उसको ऑफर किया था। तब तक वह पवित्र रिश्ता से काफी पापुलैरिटी गेन कर चुके थे। पर जब मैंने बातचीत शुरू की तो महसूस हुआ कि यह लड़का अब फिल्मों के लिए है, टीवी के लिए नहीं। मैं कई बार उनके घर पर रुक जाया करता था। मैं सुशांत और अंकिता। उस वक्त ही उन्होंने कहा था कि जब वह स्टार बन जाएगा तो मेरी फिल्म जरूर करेंगे। जब वह दवाइयां ले रहे थे तो उन्होंने अपने लो फेज के बारे में भी डिस्कस किया था।
क्या सुशांत के डिप्रेशन की वजह ग्रुपिज्म थी?
सुशांत से सात फिल्में छीन गई तो क्या पता उसका रीजन क्या रहा होगा? लोग असल वजह जानने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। पिछले 5 सालों में 30 से 40 फिल्में सुशांत ने भी छोड़ी उस पर भी तो कोई गौर फरमाएं। हम किस बात की ग्रुपिज्म कह रहे हैं। वह बच्चा आउटसाइडर था। उसने एकता के साथ काम किया। धर्मा के साथ काम किया। यशराज में काम किया। साजिद नाडियाडवाला के साथ काम किया। नीरज पांडे के साथ काम किया। उसने दिनेश पूजन के साथ काम किया 5 सालों में 12 फिल्में हैं ऐसी।
खेमेबाजी की खबरें सही हैं क्या?
यह बात ना तो मैं बोल रहा हूं। ना महेश शेट्टी बोल रहे हैं। क्या सुशांत ने कभी बोला कि उनसे फिल्में छीन ली गई है तो इसलिए वह डिप्रेशन में गए? फैमिली वालों ने भी उस वक्त नहीं बोला। जब मीडिया सवाल कर रही है, तब फैमिली वाले भी कह रहे हैं।
सीबीआई जांच की मांग क्यों उठ रही है?
उसमें कोई प्रॉब्लम नहीं है। हर किसी का मानना है कि सुशांत इस तरह से रुखसत नहीं हो सकते थे, इसीलिए जांच होनी जरूरी है। उस जांच का एक प्रोसीजर है। फिल्म इंडस्ट्री में जो उसके जानने वाले हैं, उनसे पूछताछ हो रही है।
क्या आखिरी दिनों में उन्होंने आपसे क्या कुछ शेयर किया था?
अभी इन्वेस्टिगेशन चालू है। लिहाजा कुछ बातें,इस वक्त शेयर नहीं की जा सकतीं। यह एक बहुत पर्सनल सी बात है। यह जरूर है कि हमारी दोस्ती ऐसी थी, जो हम सारी बातें शेयर करते थे।
अंकिता से ब्रेकअप के बाद अब सुशांत किसी के साथ रिश्ते में थे?
यह तो पूरी दुनिया को मालूम है वह किसके साथ रिश्ते में थे? रहा सवाल अंकिता का तो वह अभी उस स्टेट ऑफ माइंड में नहीं है कि वह किसी का राइट अप पढ़े। रिएक्ट करे कि ऐसा क्यों लिखा गया है? सबके इमोशन हैं,जो बाहर आ रहे हैं।
क्या रिलेशनशिप की वजह से सुशांत ने यह कदम उठाया?
देखिए होता क्या है कि हर बार जब इंसान ऐसे किसी रिलेशनशिप में होता है और बीच में ही अनहोनी हो जाती है तो दोषारोपण का दौर चलने लगता है। उनके ऊपर सवाल खड़े होते हैं क्योंकि वह सबसे नजदीक होते हैं। अब इसमें कितनी सच्चाई है यह जांच का विषय है। सही समय पर सच्चाई सामने आ जाएगी।
बाजीराव फिल्म ऑफर होने की बात कितनी सच है
हर फिल्म कई एक्टरों के बीच घूमती है। बाजीराव मस्तानी भी कई एक्टरों के पास गई। वह फिल्म जिसकी किस्मत में थी और जिनके डेट्स अवेलेबल थे, उनके साथ डायरेक्टर ने काम कर लिया। लंबा इतिहास रहा है बाजीराव कई एक्टरों को शुरू में ऑफर हुई थी।
टीवी फिल्म और वेब शो की शूटिंग जल्द शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है। लंबी चर्चा के बाद आखिरकार सभी सिनेमा और टीवी के संगठनों के बीच एक राय बन गई है। न सिर्फ डेली वेजेस वर्कर्स के हित में फैसला आया है, बल्कि टेलीविजन और फिल्म के प्रोड्यूसर्स के लिए भी फायदे का सौदा बुधवार की देर रात पक्का हुआ है। ग्लैमर जगत के 3 बड़े संगठन आईएफपीटीसी, सिंटा और फेडरेशन ने एक सुर में शूटिंग के निर्देश और सेट पर मौजूद लोगों की सुरक्षा से संबंधित नियम तैयार किए हैं।
हर कर्मचारी का होगा 25 लाख का बीमा
उन सब के तहत डेली वेजेस वर्कर्स और बाकी कास्ट और क्रू मेंबर के लिए कोरोना से मौत होने की सूरत में 25 लाख रुपए का बीमा रहेगा। अस्पताल में इलाज के लिए ₹200000 तक का हॉस्पिटलाइजेशन कवर रहेगा। बीमा के अलावा फिल्म और टेलीविजन प्रोड्यूसर्स की एसोसिएशन ने यह भी सुनिश्चित किया कि सेट पर कास्ट और क्रू के लिए सरकारी निर्देशों के तहत सारे प्रिकॉशन रहेंगे।
पैमेंट साइकिल में हुआ बदलाव
अब से पेमेंट 90 दिनों की सायकल के बजाय 30 दिनों का रहेगा। यानी पेमेंट के लिए 90 दिनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा कलाकारों ने भी पे कट की बात को माना है। ताकि प्रोड्यूसर और ब्रॉडकास्टर्स पर ज्यादा बोझ ना पड़े। जल्द से जल्द शूटिंग शुरू की जाए।
मीटिंग में फिल्म और टेलीविजन प्रोड्यूसर की काउंसिल के साथ-साथ कलाकारों के सबसे बड़े संगठन सिन्टा और सिने कामगार के सबसे बड़े संगठन फेडरेशन मौजूद थे। टेलीविजन और फिल्म प्रोड्यूसर की काउंसिल के प्रेसिडेंट साजिद नाडियाडवाला हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे, कल्चर मिनिस्टर अमित देशमुख,कल्चरल सेक्रेट्री संजय मुखर्जी और आदेश बांडेकर का आभार प्रकट किया।
मीटिंग में जेडी मजीठिया, श्याम आशीष भट्टाचार्य, नितिन वैद्य, बीएन तिवारी, अशोक दुबे, गंगेश्वर श्रीवास्तव, मनोज जोशी, अमित बहल, संजय भाटिया और सिन्टा के अधिकारियों ने शिरकत की।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से ही रह किसी के मन में उनकी मौत से जुड़े कई सवाल उठ रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सबूत सुशाइड की तरफ इशारा कर रहे हैं मगर कुछ लोग अब इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। इसी बीच महाभारत एक्ट्रेस और सांसद रूपा गांगुली ने भी मुंबई पुलिस की जांच पर सवाल उठाए हैं। भास्कर से बातचीत के दौरान एक्ट्रेस ने सुसाइड के एंगल को पूरी तरह ठुकराया है
सुशांत पर बात करते हुए एक्ट्रेस ने कहा, मैं अपनी बात बतौर बीजेपी एमपी नहीं रख रही हूं बल्कि एक कलाकार और सुशांत के काम की फैन के तौर पर रख रही हूं। एक कंसर्न्ड नागरिक के तौर पर रख रही हूं। सभी परिजनों से मेरी गुजारिश है। अपने बच्चों में सुशांत का चेहरा देखें, जो उज्जवल भविष्य के लिए घर से दूर हैं। मुंबई पुलिस ने पहले ही दिन से कह दिया कि यह सुसाइड है। रिपोर्ट में यह तक कहा गया कि मौत सांस रोकने की वजह से हुई है।
गले पर मार्क सुसाइड वाले नहीं थे
पुलिस ने फोटोग्राफ्स क्यों हटा दिए हैं सुशांत के पार्थिव शरीर के। उनके फोटोग्राफ्स देखने से लोगों के मन में शक हुआ था कि गले पर जो उनका मार्क है, वह सुसाइड वाला नहीं है। लाखों लोग सवाल उठा रहे हैं उनमें से एक मैं भी हूं। लिगेचर मार्क आमतौर पर यू शेप का होता है। पर जो तस्वीरें और वीडियोज घूम रहे हैं, उसमें लिगेचर मार्क यू शेप का नहीं लग रहा।
बड़े लोगों ने सुसाइड का नैरेटिव सेट किया
मुझे पहले से ही शक था कि सुशांत मामले में सुसाइड का नैरेटिव कोई सेट कर रहा है। पुलिस ने आते ही तुरंत कह दिया कि यह सुसाइड है। उनको तो यह कहना चाहिए था कि जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि यह सुसाइड है या मर्डर है। पहले दिन से ही वहां के कुछ लोग साबित करने में जुटे हुए हैं कि सुशांत डिप्रेशन पेशेंट था। कुछ बड़े लोगों ने नैरेटिव सेट किया। मुझे यह बताइए कि फिल्म इंडस्ट्री में कौन सा ऐसा इंसान है जो कभी डिप्रेशन में रहा नहीं या उससे गुजरा नहीं।
सुशांत बहुत पॉजिटिव इंसान थे। खुद को तैयार किया। वह डिजर्व करते थे। उन्होंने अपनी पोजीशन बनाई। सिर्फ देखने में सुंदर थे इसीलिए इंडस्ट्री में चल दिए ऐसा नहीं था। उन्होंने डांस क्लासेज लीं, मार्शल आर्ट सीखा। हर किस्म की जरूरत को उन्होंने टाइम दिया, सीखा। पूरे समर्पण के बाद उन्होंने इसमें कदम रखा। जिन का शौक है टेलीस्कोप के साथ समय बिताना। कहीं से भी किसी तरह की इनसिक्योरिटी नहीं है वह ऐसा कदम कैसे उठाएगा।
पुलिस के जहन में सवाल क्यों नहीं आए
सुसाइड के लिए सिर्फ एक रीजन नहीं होता। सुसाइड नोट तक नहीं मिला था। लिगेचर मार्च तो शक के दायरे में है ही। मेरे बहुत सारे सवाल हैं? पुलिस ने उस घर को सील किया कि नहीं? घर का नया लॉक लगाया कि नहीं? पुराने लॉक की 50 चाबियां मिल सकती हैं। मैं कोई डिटेक्टिव नहीं हूं, लेकिन जब मेरे मन में यह सवाल आते हैं तो पुलिस के जेहन में क्यों नहीं यह सवाल आते हैं?
हर जगह खबर है कि सीसीटीवी कैमरा बंद थे
पुलिस ने तुरंत कह दिया इन्वेस्टिगेशन करने से पहले कि सुसाइड है। कई जगहों पर यह लिखा गया है पूछा गया है कि घर के सीसीटीवी कैमरा बंद था। यह भी पता चला है कि वह 10 मिनट पहले वीडियो गेम खेल रहे थे प्ले स्टेशन खेल रहे थे। यह सारे सवाल पुलिस के जहन में नहीं आए होंगे। यह तो मुमकिन नहीं।
ऑफिसर्स को जान का खतरा है
हकीकत यह है कि इस केस के जो इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर हैं, उनकी जान को खतरा है। उनके पास जानकारी सब कुछ है, लेकिन वह इस केस की गुत्थी सुलझाने में सक्षम नहीं हैं। अगर वह निष्पक्ष जांच करेंगे तो उनको ही जान से मारा जा सकता है।
इन लोगों को सीबीआई ही पकड़ सकती है
यह करने वाले लोग कौन हो सकते हैं, यह हर कोई जानते हैं। कौन हैं, जो मुंबई में सबसे बड़ा ड्रग रैकेट चलाते हैं? गुनहगारों के नाम मेरे सवाल में है। सवाल यह कि कौन हैं, जो रोस्ट जैसा कॉमेडी शो ऑर्गेनाइज करवाते हैं? कौन हैं, जो अपने टीवी शो चलाते हैं। वहां पर अपने और उस कार्यक्रम में अपने लोगों के फैनबेस को बढ़ाते हैं। और फिर उन्हीं को फिल्मों में लेते हैं। इन सब को पकड़ने की कूवत सीबीआई ही रखती है।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बॉलीवुड इंडस्ट्री में नेपोटिज्म और कैंप चलने का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। करन जौहर, सलमान खान जैसे कई बड़े सेलेब्स के बारे में खुलासे हो रहे हैं। इसी बीच दिवगंत अभिनेता इंदर कुमार की बीवी पल्लवी सराफ ने भी अपनी आवाज उठाई हैं। हाल ही में पल्लवी ने अपने एक पोस्ट में बताया कुउनके पति भी पक्षपात का शिकार हो चुके हैं। उनका कहना हैं कि शाहरुख और करनने इंदर को काम दिलाने का भरोसा दिया था लेकिन कुछ दिन बाद उन्होंने इंदर का नंबर ब्लॉक कर दिया। हालांकि इस दौरान सलमान काफी मददगार साबित हुए।
दैनिक भास्कर से बातचीत में पल्लवी ने बताया कि सोशल मीडिया पर शाहरुख और करन के खिलाफ आवाज उठाने पर उनको कई आलोचनाएं भी झेलनी पड़ रही हैं। कुछ लोगों का मानना हैं कि वे पब्लिसिटी के लिए ये सब कर रही हैं।पोस्ट लिखने की वजह सिर्फ इंडस्ट्री की सच्चाई लोगों के सामने लाने की थी।
सुशांत की खबर सुनकर लगा धक्का
इस पोस्ट की वजह सिर्फ और सिर्फ इंडस्ट्री की हकीकत सामने लाने की थी। बहुत दुःख होता हैं ये देखकर की लोग इसे गलत तरीके से ले रहे हैं। मैंने ये पोस्ट पब्लिसिटी के लिए नहीं डाला हैं।अगर मुझे पब्लिसिटी ही चाहिए होती तो मैं इंदर की मौत के बाद ही लेती, दो साल क्यों इंतजार करती? मेरी गलती नहीं हैं अगर मैंने अपने पति से जुडी कोई सच्चाई सामने लाई। सुशांत की मौत का मुझे बहुत धक्का लगा, जब उनसे जुडी खबरें पड़ती हूं तब हर बार इंदर के साथ हुआ इंसिडेंट मुझे याद आता हैं। यही वजह थी कि मैंने इस वक्त ये पोस्ट डालना सही समझा। लेकिन लोग इस पर भी आलोचनाएं करने से नहीं बच रहे हैं।
इंदर नेपोटिज्म से ज्यादा पक्षपात का शिकार हुए
ये पूरी तरह से सच हैं कि जब इंदर को जरूरत थी तब शाहरुख और करन जैसे बड़े दिग्गज में से कोई आगे नहीं आया। मेरे पति सिर्फ उनके पास काम मांगने गए थे, ये दोनों शख्स इंदर को पर्सनली जानते थे। शाहरुख ने तो उनके साथ 'गजगामिनी' में काम भी किया था। वे इंदर को काफी अच्छे से जानते थे लेकिन जब काम मांगा तो इग्नोर कर दिया। इंदर की बस यही ख्वाहिश थी की वे फिर से अच्छे प्रोडक्शन हाउस में काम करें। इस इंडस्ट्री में नेपोटिज्मसे ज्यादा पक्षपात चलता हैं, जिसका इंदर शिकार हुए।
ये लोग अच्छा होने का दिखावा करते हैं
ऐसा नहीं था कि वे अचानक से उठे और उनके ऑफिस काम मांगने चले गए थे। करन और शाहरुख दोनों ने उन्हें संपर्क में रहने को कहा था।ये सब इंसिडेंट्स कहीं-न-कहीं इंदर के दिमाग में थे जिसके दो हफ्ते बाद उनकी मौत हो गई। ये लोग बुरे नहीं हैं, बस अच्छे होने का दिखावा करते हैं।
सलमान खान हमारे लिए मसीहा हैं- पल्लवी
कई लोग सलमान खान पर भी नेपोटिज्म का आरोप लगा रहे हैं हालांकि मेरे हिसाब से ये गलत हैं। मैं उन्हें बहुत सालों से जानती हूं और मुझे पता हैं वो कैसे इंसान हैं। वो एक दरियादिली इंसान हैं जो लोगों की मदद करने में कभी पीछे नहीं हटते। इंदर की उन्होंने काफी मदद की। फिल्मों में कोई ना कोई किरदार दे ही देते थे। लेकिन कोई कब तक मदद करेगा? उनकी हर फिल्म में इंदर को लेना सही भी नहीं था ना? इंडस्ट्री में कितने लोगों के लिए वो मसीहा हैं।
लगाए गए आरोप में सच्चाई नहीं है
सलमान पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने कइयों का करियर बर्बाद किया लेकिन इसमें सच्चाई नहीं हैं। वो हमारे लिए भी मसीहा ही हैं। अगर इंदर किसी दूसरे बड़े प्रोडक्शन हाउस के साथ काम करना चाहते थे तो इसमें गलत क्या था? इंदर की ये ख्वाहिश अधूरी रह गई।
सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए
लोग मर रहे हैं और ये बड़े लोग अब भी इसके प्रभाव को नहीं समझ रहे हैं। सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। अगर किसी में टैलेंट हैं तो अपने आपको प्रूव करने का मौका भी मिलना चाहिए।
बुधवार को चेतन भगत का 3 साल पुराना ट्वीट वायरल हुआ जिसके बाद फिर एक बार नेपोटिज्म का मुद्दा गर्मा गया है। चेतन भगत ने ट्वीट किया था, ' मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि हाफ गर्लफ्रेंड मैं मेन लीड का कैरेक्टर सुशांत सिंह राजपूत प्ले करेंगे।' इस पर यूजर्स की तरफ से चर्चा शुरू हो गई कि नेपोटिज्म के चलते सुशांत सिंह राजपूत को उस फिल्म से हटाया गया और अर्जुन कपूर को लिया गया। इसके अलावा फितूर और बेफिक्रे से भी सुशांत को रिप्लेस किया गया। मामला सामने आते ही हाफ गर्लफ्रेंड फिल्म के डायरेक्टर मोहित सूरी ने अपनी सफाई पेश की है।
डायरेक्टर मोहित सूरी ने भास्कर को बताया कि सुशांत ने खुद हाफ गर्लफ्रेंड फिल्म करने से इनकार किया था। उन्होंने कहा कि हाफ गर्लफ्रेंड के बजाय उन्होंने राब्ता फिल्म को चुना था। हमने उनके उस फैसले का सम्मान किया था। वो दूसरी फिल्म में फिक्स थे इसीलिए हमें फिर मूव ऑन होना पड़ा। नेपोटिज्म वाली कोई बात नहीं थी।
हाफ गर्लफ्रेंड और राब्ता फिल्म दोनों ही साल 2017 में एक महीने के अंतराल में रिलीज हुई थीं ऐसे में सुशांत दोनों फिल्मों का हिस्सा नहीं रह सकते थे। उन्होंने पहले ही राब्ता फिल्म साइन कर ली थी जिसमें उनके साथ कृति सेनन ने लीड रोल निभाया था। वहीं सुशांत के इनकार करने के बाद अर्जुन कपूर को फिल्म में श्रद्धा के साथ कास्ट किया गया।
हाफ गर्लफ्रेंड चेतन भगत की किताब पर बेस्ड एक बिहारी लड़के माधव की कहानी है जिसे दिल्ली की मॉर्डन लड़की रिया से प्यार हो जाता है। दोनों ही उम्र में छोटे हैं, जहां माधव एक मिडिल क्लास फैमिली का लड़का है वहीं रिया हायर क्लास की लड़की है। दौनों का रहन सहन अलग है और दौनों के मौलिक विचार भी। माधव रिया से प्यार करने लगता है और रिया को प्रपोज करता है लेकिन रिया उसे इनकार कर देती है। उसके मुताबिक वे अच्छे दोस्त ही ठीक हैं। सुशांत भी बिहार से थे। ऐसे में उन्हें फिल्म पहले पिच की गई थी।
बॉलीवुड की बेहतरीन एक्ट्रेस रह चुकीं सुष्मिता सेन ने 10 सालों बाद फिर एक्टिंग में कमबैक किया है। एक्ट्रेस की वेब सीरीज 'आर्या' 19 जून को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई है जिसके लिए उन्हें खूब सराहना मिल रही है। अपने कमबैक और एक्टिंग करियर के बारे में सुष्मिता ने भास्कर के खास बातचीत की है।
फिल्मों से 10 साल तक दूर रह दूरी बनाने की वजह क्या थी?
सबसे पहले तो मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि मैं फिल्मों से 10 सालों तक दूर थी लेकिन अपने फैंस से नहीं और इसीलिए मेरा फिल्मों में वापसी करना निश्चित था। फिर मुझसे दूर रहने की यही वजह थी कि मुझे अच्छी स्क्रिप्ट नहीं मिल रही थी। मुझे ओल्ड स्कूल रोल्स ऑफर हो रहे थे।शायद मुझे लगता है मैं किसी फिल्मेकर को उस वक्त इंस्पायर नहीं कर पा रही थी कि मुझे अच्छे रोल ऑफर करें। मुझे मेरा किरदार पसंद नहीं आ रहा था तो मैंने ब्रेक लेकर सही रोल का वेट किया लेकिन जब आर्या के डायरेक्टर राम वाधवानी मेरे पास आए तो मुझे कहानी बेहद पसंद आई मैंने हामी भर दी।
आर्याको चुनने का रीजन क्या था?
आर्या में मेरा किरदार बहुत ही प्रोग्रेसिव महिला का है। एक प्यारी दक्ष होममेकर से डॉन बनने तक की जर्नी है। एक स्ट्रॉन्ग किरदार है। इस सीरीज के रिलीज होने के पहले ही 5 सीजन लिखे जा चुके हैं।
क्या कभी फिल्मों से निकाला गया?
मैंने इतनी सारी फिल्में देखी है जहां मुझे आखिरी वक्त पर निकाल दिया गया और उनकी तादाद इतनी ज्यादा है कि मैं अब गिनती भूल चुकी हूं। मुझे बिना बताए फिल्मों से निकाल दिया जाता था जिसकी खबर मुझे अखबारों से मिलती थी। मुझे खुद बताया तक नहीं जाता था और वह भी तब जब मैं उसे अनाउंस कर चुकी होती थी और उसके बाद मुझे पब्लिकली शर्मिंदगी फील होती थी लेकिन फिर मैंने खुद को यही समझाया कि जो फिल्में मुझे लेकर नहीं बनी शायद वह मेरे नसीब में नहीं थीं। खुद को हमेशा स्ट्रॉन्ग रखा।
इस इंडस्ट्री में आपको खुद पर भरोसा करना बहुत जरूरी है कभी किसी को इतना हक मत दीजिए कि वह आपको फील करवा सके कि उसके बिना तो आप फिल्म इंडस्ट्री में टिक ही नहीं पाएंगे।
जब कभी लाइफ में लो फील करती है तो कैसे उबारती है उससे?
हर दिन एक सा नहीं होता और मैं यही मानती हूं। अगर मेरी कोई कोशिश नाकाम होती है तो दिल दुखता है क्योंकि दिल सबका टूटता है लेकिन अपने आप को समझाना पड़ता है। यह हम पर है कि हम कितनी जल्दी उठ खड़े होते हैं। मैं खुद से यही कहती हूं कि अगर यह कोशिश विफल रही तो कोई बात नहीं अगली बार कोशिश सफल होगी। आपको खुद समझाना पड़ता है।
बाकी अदाकारा से आपकी तुलना होती है तो कैसा लगता है?
मैं खुशनसीब हूं कि मैं ऐसे डिस्कशन में ज्यादा पढ़ती नहीं हूं क्योंकि बाकियों की तरह इंडस्ट्री में टॉप 5 में जगह बनाने की होड़ मुझ में कभी नहीं रही। मुझे बस मेरे हुनर के लिए जाना जाता है और टॉप फाइव मेरी विनती है नहीं तो मुझे इन तुलना से कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे समझ नहीं आता कि जब दो इंसानों के डीएनए तक मैच नहीं कर सकते तो आप उनकी तुलना कैसे कर सकते हैं। ये गलत है।