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26 साल की उम्र में अपनी शादी के लिए अपना स्टारडम छोड़ देने वाली दिलकश और शोख अदाकारा मुमताज आज 73वें साल में कदम रख रही हैं। खिलौना (1970), ब्रह्मचारी (1968), आइना (1977), आपकी कसम (1974), जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों को यादगार बना चुकीं एक्ट्रेस मुमताज अब एक ब्रिटिश नागरिक बन चुकी हैं और पांच नाती-पोतों से भरे परिवार में खुशहाल शादीशुदा जिंदगी जी रही हैं।
मुमताज को दारा सिंह के साथ काम करने के बाद इंडस्ट्री में बड़ी पहचान मिली। कई अभिनेता ऐसे भी थे जो उन्हें स्टंट फिल्मों की हीरोइन बताकर उनके साथ काम करने से मना कर देते थे। हालांकि एक्ट्रेस ने अपनी शोख अदाओं से फिल्मों में रोमांस, ड्रामा और इमोशनल अदाकारी का नया मुकाम हासिल किया।
1947 में जन्मीं मुमताज ने 11 साल की उम्र से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम करना शुरू किया था। 1969 में मुमताज को राज खोसला ने उभरते सितारे राजेश खन्ना के साथ दो रास्ते फिल्म में मौका दिया और ये फिल्म उनके करियर के लिए माइलस्टोन साबित हुई। इसके बाद अचानक ही बी-ग्रेड फिल्मों की अदाकारा कही जाने वाली मुमताज स्टार बन गईं और इंडस्ट्री का हर बड़ा हीरो उन्हें अपनी लीडिंग लेडी बनाने की चाहत रखने लगा था। आज मुमताज को इंडस्ट्री छोड़े 40 साल हो गए। परदेस में बैठी मुमताज को हिंदुस्तान बहुत याद आता है और वे कहती हैं, 'मैं बहुत ही खुशनसीब और शुक्रगुजार हूं कि मैं भारत में मुमताज बनकर पैदा हुई। जो प्यार लोग हिंदुस्तान में देते हैं वो कहीं भी दुनिया में नहीं मिलता।'
73वें जन्मदिन पर दैनिक भास्कर के लिए मशहूर बॉलीवुड जर्नलिस्ट फहीम रूहानी ने मुमताज के साथ उनके सुनहरे दिनों के किस्से दोहराते हुए खास बातचीत की, उसी के अंश -
आपके लंदन, युगांडा, कीनिया, न्यूयॉर्क में घर हैं, ग्लोबल सिटीजन होकर कैसा लगता है
(हंसते हुए) मैं सिर्फ इतना जानती हूं कि मैं ब्रिटिश नागरिक हूं। मगर ये बहुत मुश्किल है। ये सारे घर मेंटेन करना कोई आसान काम नहीं है। ऐसे ही नहीं बन गए। जहां भी जाओ काम करना पड़ता है, ये नहीं चल रहा वो नहीं चल रहा। इससे अच्छा तो है कि आपका एक ही घर हो। इसमें ही आपको खुशी मिलती।
73 सालों में आपकी जिंदगी का सबसे बेहतरीन वक्त कौन सा रहा?
मेरे संघर्ष के दिन सबसे बेहतरीन रहे। उस दौर में फिल्मों के लिए जी-जान से जुटे रहना मेरी जिंदगी का सबसे बेहतरीन वक्त था।
जब आपने दारा सिंह के साथ 16 एक्शन फिल्में की तब?
हर फिल्म एक याद है। संघर्ष करना बहुत बेहतरीन रहा है। जितना जो चीज मुश्किल होती है उसकी उतनी कदर होती है। वो मेरी जिंदगी के सबसे खूबसूरत दिन थे। 13 से 26 सालों तक का समय। फिर मैंने शादी कर ली और इंडस्ट्री छोड़ दी। अब मेरी एक अलग जिंदगी है। और मुझे उन दिनों पर आज भी गर्व है।
अपनी प्रतिद्वंद्वी रहीं शर्मिला टैगोर को याद करती हैं?
नहीं, कोई विरोधी नहीं था। मैं कोई पिक्चर नहीं करती थी तो वो उनके पास चली जाती थीं। ज्यादातर मेरी कई फिल्में जो मैंने नहीं की थीं वो उनके पास गई थीं। मगर हम दोनों के बीच ऐसा कुछ नहीं था। मुझे कभी एहसास ही नहीं हुआ कि हम दोनों के बीच ऐसा कुछ था। क्या आपने कभी ऐसा सुना है।
आपको ऑफर कोई रोल जब किसी और को मिल जाता था तो कैसा लगता था?
मेरे जैसे रोल अगर कोई दूसरी औरत कर सकती है तो प्रोड्यूसर उनके पास चले जाते थे। कई बार ऐसा होता है कि आप कोई रोल करना चाहते हो मगर प्राइस (फीस) के चलते आपको छोड़ना पड़ता है। किसी ने कम प्राइस में अपना लिया तो थोड़ी फीलिंग होती है। ये एक दो बार हुआ होगा मेरे साथ। उस जमाने में मैं अपने प्राइस को लेकर काफी सख्त थी। मैं 8 लाख रुपए लेती थी। जो काफी ज्यादा होता था। वो एक दो लाख इधर-उधर हो जाने से दिल दुखता था।
हेमा मालिनी और शर्मिला टैगोर आज भी शो-बिज का हिस्सा है, क्या आप भी वापसी करना चाहेंगी?
देखिए, मैंने कभी नहीं कहा कि मुझे कभी इंडस्ट्री में वापस नहीं जाना या मुझे जाना पसंद है। मेरे पास वापस जाने का समय नहीं है। मैं व्यस्त हूं और अपने परिवार में लगी हुई हूं। जब मुझे पैसों की जरूरत होगी तो वापस जाकर कहूंगी, सलाम, ‘मुझे काम चाहिए, मुझे काम दो’। कोई वजह अभी तक निकली ही नहीं है जिसके लिए मुझे वापस जाना चाहिए। हालांकि मुझे इंडस्ट्री का हिस्सा रहने पर गर्व है।
आप अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस में कौन सी फिल्म सिलेक्ट करेंगी?
ये बहुत मुश्किल सवाल है। कोई कैसे बता सकता है कि लोगों को कौन सी परफॉर्मेंस पसंद आ जाए। मैंने तेरे मेरे सपने, 1971 में इतना अच्छा काम किया था लेकिन अवॉर्ड ‘खिलौना’ में मिला। मुझे लगता है कि मेरी एक्टिंग ‘खिलौना’ से ज्यादा ‘तेरे मेरे सपने’ में ज्यादा अच्छी थी। कई लोग आज भी ‘बिंदिया चमकेगी’ आपकी बेस्ट परफॉर्मेंस है कहते हैं। यह तो सब देखने वालों पर है, या तो सितारे अर्श पर होंगे या फर्श पर।
इंडस्ट्री में बने रहने के लिए झूठ कितना जरूरी है?
मैं तो ये बोलूंगी कि झूठ बोलने से अच्छा है मुंह बंद करके बैठो। आप एक विजेता रहोगे। जब आपको कमेंट नहीं करना है तो चुप चाप रहो। बोलकर बहुत गड़बड़ होती है बाद में।
इन दिनों किस एक्ट्रेस का स्टाइल अच्छा लगता है?
आज की सभी लड़कियां अच्छे कपड़े पहनती हैं। शिल्पा शेट्टी अच्छे कपड़े पहनती हैं, अच्छी लगती है। सोनम, करीना और कंगना भी अच्छी लगती हैं। वो लड़की जो लंदन से आई है, कटरीना कैफ वो बहुत बेहतरीन और एलीगेंट लगती है। आजकल टाइम बदल गया है। हमारे जमाने में कुछ नहीं था। बैठने के लिए वैन भी नहीं थी।
आपको सुविधा ना मिलने पर अफसोस है?
नहीं मुझे जिंदगी में कोई अफसोस नहीं है। मैं बस फर्क बता रही हूं। जय जय शिव शंकर गाने के दौरान (आप की कसम, 1974) अगर आपको टॉयलेट जाना है तो 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। उन दिनों कुछ भी नहीं थी। हमें कुछ नहीं मिलता था, आजकल के यंगस्टर बहुत लकी हैं।
फरदीन (दामाद) ने कई दिनों से फिल्में नहीं की क्या इसके लिए आप राजनीति को दोषी मानेंगी?
नहीं, हमारी फिल्म लाइन में ऐसा नहीं है। अगर आज भी फरदीन अपना फिगर मेंटेन करेगा और अच्छा लगने लगेगा तो उसे ऑफर मिलेंगे। प्रोड्यूसर्स उसे लेंगे मगर उसके लिए उसे अपना वजन कम करना पड़ेगा और फिट दिखना होगा। अगर अपने आपको आप संभालो, अच्छे से रखो तो काम मिलता है। मुझे नहीं लगता कि यहां राजनीति है। आपको परफेक्ट दिखना होगा क्योंकि उनके करोड़ों रुपए इसमें लगे हैं। वो आपसे ज्यादा कुछ नहीं चाहते। इसके लिए आप दूसरों को जिम्मेदार नहीं मान सकते।
राधिका आप्टे की ‘रात अकेली है’ आज नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो रही हैं। वे इन दिनों लंदन में हैं। वहां से उन्होंने फिल्म और अपने इन दिनों की व्यस्तताओं के बार में दैनिक भास्कर से बातचीत की है। - श्रीराम राघवन की बदलापुर के मुकाबले इसमें थ्रिल किस तरह अलग है?
दोनों फिल्मों को कंपेयर करना सही नहीं होगा। यहां अलग कहानी, किरदार और बैकड्रॉप हैं। यहा जॉनर बस सेम है और बाकी कुछ भी समानता नहीं हैं। यह भी कि इस तरह की फिल्में मुझे बहुत पसंद हैं। इंसानी मन के जटिलताएं मुझे खींचती रही हैं।
नवाज के साथ मांझी और इस फिल्म का कोई यादगार किस्सा?
ऐसा कोई किस्सा याद तो नहीं रहा है इस फिल्म का भी। यह जरूर था कि बड़ा ही व्यवस्थित था। शूट पर जाने से पहले हमें रिहर्सल का टाइम मिलता था। हर सीन काफी मेमोरेबल था। मेरे कमरे में एक लंबा सीन था। नवाज के साथ वह करने में बड़ा मजा आया। वह कमाल के एक्टर तो हैं हीं। उन्हें भी सेट पर कई सारे सीन को इंप्रोवाइज करने में हिचकिचाहट नहीं होती, तभी उनके साथ काम करने में बड़ा मजा आता है। वह हमारे मुल्क के सबसे फाइनेस्ट एक्टर्स में से एक हैं।
-आगे कौन से नए कॉन्टेंट शूट करने के लिए आप से बातें हुई हैं?
यह इन्फॉरमेशन तो बहुत प्राइवेट है। मेकर्स की तरफ से कोई अनाउंसमेंट हो तो सही है। तब तक मैं नाम डिसक्लोज नहीं कर सकती, कि मुझे स्क्रिप्ट ऑफर की हैं। कुछ स्क्रिप्ट तो मुझे पसंद आई हैं। कइयों पर माथापच्ची चल रही है कि उन पर कैसे आगे बढ़ा जाए।
क्या आपके करियर में रिजेक्शन और रिप्लेसमेंट रहे हैं?
बतौर एक्टर रिजेक्शन तो रोजमर्रा की बात है। आप या मैं लिटरली हर दिन रिजेक्ट होते हैं। वक्त के साथ आप रिजेक्शन के आदती हो जाते हैं। रिजेक्शन को दिल पर लेंगे तो दिक्कत होगी। कई बार डायरेक्टर का एक अलग विजन होता है। रिजेक्शन के ढेर सारे कारण होते हैं। उसका एक्टर की परफॉरमेंस और टैलेंट से कोई नाता नहीं होता। ऐसे में मैं उनको एक्सेप्ट करते हुए मैं अलग तरह के कॉन्टेंट क्रिएशन में जुटती रही और क्रिएटिवली सैटिस्फाई होती रही।
##लंदन में हेल्थ केयर सर्विसेज कैसी हैं?
यहां दुनिया के बेस्ट हेल्थ केयर सर्विसेज हैं। मगर हां इंडिया में प्राइवेट हेल्थ केयर सस्ती हैं यहां के मुकाबले। यहां की सर्विसेज अमेरिका से जरूर सस्ती हैं। वेल ऑर्गेनाइज्ड हैं यहां सब। सौभाग्य से मेरी जान पहचान में कोई भी कोविड के कॉन्टैक्ट में नहीं आया है। साथ ही यहां लोग केयरफुली अपने काम पर लौट चुके हैं। यहां टेस्टिंग सर्विस अच्छी हैं। मैंने भी अपना टेस्ट करवाया और नेगेटिव निकली हूं।
तिग्मांशु धूलिया निर्देशित श्रुति हासन की फिल्म 'यारा' का प्रीमियर जल्द ही ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर होने वाला है। इसके प्रमोशन के दौरान बातचीत करते हुए उन्होंने माता-पिता से तुलना से लेकर भाई-भतीजावाद तक कई मुद्दों को लेकर दैनिक भास्कर से बात की।
सवाल- 'यारा' चार दोस्तों की कहानी है। फिर इसमें आपको कितना स्पेस मिला है?
श्रुति- 'बहुत ज्यादा मिला है। सामने से दिखता है कि चार लड़कों के बीच की बॉन्डिंग है। मैंने सुकन्या का कैरेक्टर प्ले किया है, जिसकी वजह से काफी चीजें बदलती हैं। तिग्मांशु धूलिया की फिल्मों के हमेशा फीमेल कैरेक्टर बहुत अलग रहते हैं। उसमें करने के लिए बहुत कुछ रहता है। इसमें मेरा भी बहुत ही अच्छा और इंपॉर्टेंट रोल है। अपने रोल से संतुष्ट हूं।'
सवाल- शूटिंग के दौरान आप एक इकलौती एक्ट्रेस थीं, फिर सेट पर कैसे वक्त कटता था?
श्रुति- 'मुझे कभी कभार ही फीमेल डायरेक्टर मिलते हैं। इसलिए सेट पर ज्यादातर मैं और मेरी हेयर ड्रेसर ही रहते हैं। 'रमैया-वस्तावैया' में कई फीमेल कैरेक्टर थीं, क्योंकि फैमिली ड्रामा था। देखेंगे तो सेट पर बमुश्किल 10 औरतें होती हैं और आदमी 100 होते हैं। यह तो हमेशा से ऐसा होता आया है, इसलिए मुझे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा।'
सवाल- एक्टिंग से इतर सिंगिंग-राइटिंग आदि विधा में क्या कर रही है?
श्रुति- 'मैंने करियर की शुरुआत बतौर म्यूजिशियन की थी। लेकिन सही तरीक से मुझे फिल्म पर फोकस करना था। मैंने 8-9 साल तक लाइव शो नहीं किया था। इसलिए एक्टिंग से एक-डेढ़ साल का ब्रेक लेकर लंदन गई और वहां पर यह टीम सेट करके म्यूजिक पर काम करते हुए लाइव शो करना शुरू किया। इससे मुझे कला की संतुष्टि मिली। इस ब्रेक में लगा कि मुझे अलग किस्म की फिल्म करनी थी।'
सवाल- आगे किस पर ज्यादा ध्यान देंगी?
श्रुति- 'मैं बैलेंस बनाकर चलूंगी। अभी मैं 2 तमिल और 2 तेलुगू फिल्म कर रही हूं। दरअसल काफी समय से मैंने म्यूजिक पर ध्यान नहीं दिया था, इसलिए उस पर भी काम कर रही हूं। हिंदी फिल्मों की बात करूं तो मुझे और बेहतरीन कैरेक्टर मिलने चाहिए। कुछ 'यारा' की तरह होना चाहिए।'
सवाल- ब्रेक के दौरान क्या खास पाया?
श्रुति- 'मैं देख रही हूं कि अभी यंग लोग बड़े ठहराव के साथ अपने करियर को अप्रोच कर रहे हैं। अब मेरा पॉइंट ऑफ व्यू यह है कि जितना हम किसी काम के लिए हां कहते हैं, उतना न कहना भी इंपॉर्टेंट है। अच्छे मौके को सही तरीके से इस्तेमाल करना भी हमारा कर्तव्य है। अभी मेरा यही माइंड सेट है।'
सवाल- एक्टिंग लाइन में देखा गया है कि यहां हर रिश्ते के साथ तुलना की जाती है। आप फिल्मी परिवार से आती हैं, क्या कभी यह तुलना चुनौतीपूर्ण रही?
श्रुति- मैं कहना चाहूंगी कि तुलना करना दुनिया की एक बहुत बड़ी बीमारी है। फिर चाहे तुलना किसी भी तरीके से की जाए। मम्मी-पापा के साथ मेरी तुलना की जाएगी, यह तो मुझे शुरू से पता था। मेरी पहली पिक्चर 'लक' के समय मुझे लग रहा था कि मैं बहुत कॉन्फिडेंट हूं, पर अंदर से मेरी हालत बहुत खराब थी।'
'मेरे माता-पिता कम उम्र से एक्टिंग कर रहे हैं। उन्होंने भी गलतियां की होंगी, लेकिन किसी ने कंपेयर करके नहीं दिखाया। उनकी जो लर्निंग थी, वह उनके अंदर से आई। खैर जब कमल हासन से मेरा कंपेयर किया गया तो मेरी हालत बहुत खराब हो गई।'
'फिर मैंने डिसीजन लिया कि तुलना जनरली लाइफ में अच्छी बात नहीं है। इसलिए यह शब्द मुझे अपनी डिक्शनरी से निकालना था। मैंने अपने आपसे प्रॉमिस किया कि मैं कभी भी अपने आप को किसी से कंपेयर नहीं करूंगी। अपना काम मेहनत से करके सिर झुका कर निकल जाऊंगी। बस मेरा यही फंडा रहा।'
सवाल- आप फिल्मी बैकग्राउंड से आती हैं। ऐसे में जब भाई-भतीजावाद की बात सुनती हैं, तब कैसा फील करती हैं और आपका रिएक्शन क्या होता है?
श्रुति- 'मैं कभी यह नहीं कहती हूं कि यह मेरे लिए मुश्किल रहा या आसान रहा। यहां नाम की वजह से दरवाजे तो खुलते हैं, लेकिन अंदर जाकर रहना, चहल-पहल करना, बात करना यह हमारे ऊपर निर्भर होता है।'
'मुझे बाहर और अंदर का भी हमेशा एक कन्फ्यूजन रहता है, क्योंकि भले ही मेरा सरनेम हासन हो, मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि मुझे अपने आपको समझने में काफी टाइम लगा। काफी लोग मुझे समझते नहीं है, मुझे अभी भी ऐसा लगता है। ऐसे में कभी-कभी बाहरीपन भी महसूस होता है। लेकिन यहां हर किसी को बहुत मेहनत करके नाम बनाना पड़ता है।'
'साउथ में यह उनके भाई हैं या उनके बेटे हैं, यह तो बिल्कुल नहीं चलता है। तमिल सिनेमा में मैं शायद दूसरी या तीसरी लड़की हूं, जो किसी एक्टर की बेटी हूं। फिलहाल मेरे बाद और कई लोग आए। वहां बहुत कम लोग हैं, जो किसी के रिलेटिव हैं। यह जो नेपोटिज्म बोलते हैं, वह तमिल इंडस्ट्री में बहुत कम है।
‘कैदी बैंड’ के तीन सालों के गैप के बाद आदर जैन ‘हैलो चार्ली’ से वापसी कर रहे हैं। रितेश सिधवानी और फरहान अख्तर इसके प्रोड्यूसर हैं। आदर ने हाल ही में इसकी शूटिंग पूरी की है। साथ ही दैनिक भास्कर को सेट पर बरते गए सुरक्षा इंतजामों के बारे में भी बताया। आदर रणबीर-करीना की बुआ के बेटे हैं।
इस बारे में आदर ने कहा, 'मौजूदा हालात को देखते हुए शूटिंग शुरू करने की बात को लेकर मेरे मन में भी पहले थोड़ी चिंता थी लेकिन मैं इसका पूरा क्रेडिट अपने प्रोड्यूसर रितेश सर और फरहान सर के साथ-साथ एक्सेल एंटरटेनमेंट की पूरी प्रोडक्शन टीम को देता हूं, क्योंकि उन्होंने हम सभी की सेफ्टी के लिए पूरी व्यवस्था की थी।'
आगे उन्होंने कहा, 'शूटिंग को बिल्कुल सेफ और कम्फर्टेबल बनाने के लिए उन्होंने सभी के लिए बहुत कुछ किया और यह गवर्मेंट की गाइडलाइन्स से कहीं बढ़कर है। सचमुच, अपने पसंदीदा काम की दोबारा शुरुआत करते हुए मुझे काफी अच्छा लगा।'
आदर ने बताया, 'हमने कोविड से पहले और कोविड के दौरान इस फिल्म की शूटिंग की है, इसलिए इस फिल्म की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी। किसी ने भी इस तरह के हालात के बारे में कभी सोचा नहीं होगा। मैं जिन लोगों को जानता हूं, उन्होंने अपनी जिंदगी में इस तरह के हालात का कभी सामना नहीं किया है। हालांकि, मैं इस बात में यकीन रखता हूं कि हम सभी को हर परिस्थिति का भरपूर लाभ उठाना चाहिए।'
आदर के मुताबिक 'जहां तक सेफ्टी से जुड़े उपायों की बात है, तो बेहद जरूरी नहीं होने पर मैं घर से बाहर नहीं निकलता हूं। लॉकडाउन के बाद से ही मैंने अपनी आउटडोर रूटीन को पूरी तरह बदल दिया है, और अब घर पर मेरा रूटीन पूरी तरह डिजिटाइज्ड हो चुका है और इससे मुझे अपनी स्किल्स को लगातार बेहतर बनाने में काफी मदद मिली है। मुझे लगता है कि, मैंने सामान्य दिनों की तरह इस दौरान भी अपने समय का अच्छी तरह इस्तेमाल किया है।'
उन्होंने कहा, 'यह बेहद खास और प्यारी फिल्म है। मैं उस वक्त का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं जब लोग इसे देखेंगे। इस फिल्म को बनाने में हमें काफी मजा आया और मुझे यकीन है कि इस फिल्म को देखकर लोगों को भी उतना ही मजा आएगा।'
'शूटिंग के दौरान, सभी कलाकारों को शॉट के लिए अपना-अपना मास्क उतारना पड़ता था लेकिन मैं उसे अपनी बैक पॉकेट में रखना और शॉट के तुरंत बाद इसे वापस पहनना हमेशा याद रखता था। हमारे आसपास मौजूद क्रू के सभी मेंबर्स पीपीई सूट में थे और हर वक्त सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते थे।'
ताहिर राज भसीन के खाते में कई दिलचस्प फिल्में हैं। एक तो टीम इंडिया की पहली वर्ल्ड कप जीत पर बेस्ड ‘83’ है। दूसरी हाल ही में उन्होंने ‘लूप लेपटा’ साइन की है। उसमें तापसी पन्नू उनके अपोजिट हैं। ‘83’ से पहले उनकी ‘छिछोरे’ आई थी। पिछले साल ‘मंटो’ में भी उनकी अहम भूमिका थी। हाल ही में एक्टर ने बताया कि 83 फिल्म मिलने में इन दोनों ही फिल्मों का हाथ रहा है।
ताहिर ने कहा, ‘संयोग से कबीर खान सर का ऑफिस और छिछोरे के लिए नितेश तिवारी का प्रोडक्शन ऑफिस एक ही बिल्डिंग में था। जब कबीर सर 83 के लिए प्रॉपिंग कर रहे थे, उस वक्त मैं छिछोरे के लिए रिहर्सल कर रहा था। हम कई बार एक दूसरे के आमने-सामने से गुजरे, लेकिन उन्होंने कभी अपनी इस फिल्म के बारे में बात नहीं की।
जब कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने 'मंटो' फिल्म देखी, जिसमें मैंने 40 के दशक के बॉलीवुड स्टार श्याम चड्ढा का किरदार निभाया है, तब मुकेश जी ने मुझे कबीर सर से मिलाया। उन्होंने मुझसे सुनील गावस्कर के किरदार के बारे में बात की। क्रिकेट इतिहास के सबसे शानदार हिस्से पर बन रही फिल्म में काम करने का मौका मिलने की बात ही मुझे 83 की ओर खींच लाई।‘
##पहली बार लूप लपेटा में लीड रोल निभाएंगे ताहिर
उन्होंने फिल्म '83' को साइन करने के पीछे की वजह बताई कि उसमें देशभर के बेस्ट एक्टिंग टैलेंट एक साथ काम कर रहे थे, इसलिए इसे किया। ताहिर ने आगे के बारे में बताया, "छिछोरे फिल्म को बड़ी कामयाबी मिली और इसमें डेरेक का किरदार मेरे लिए जबरदस्त साबित हुआ। यह मेरे लिए बेहद सुकून की बात थी।
‘लूप लपेटा’ से एक नए चैप्टर की शुरुआत हो रही है क्योंकि इसमें मैं हीरो की भूमिका निभा रहा हूं, और मैं इसमें काम करने को लेकर बेहद उत्साहित हूं। फिल्म '83' का हिस्सा बनने के बारे में, मैं केवल इतना ही कहूंगा कि कुछ प्रोजेक्ट्स ऐसे होते हैं, जिनकी स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद ही आपको मालूम हो जाता है कि जिंदगी में इस तरह के मौके बार-बार नहीं मिलते हैं।
83 जैसी फिल्में बार-बार नहीं बनतीं
ताहिर आगे कहते हैं, “मेरे लिए '83' भी बिल्कुल ऐसी ही फिल्म है, जिससे मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। यह फिल्म साइन करने से पहले मैंने खुद से केवल यही सवाल किया कि वर्ल्ड कप पर अगली फिल्म कब बनेगी, जिसमें फिल्म के सभी कलाकार 3 महीने के लिए यूके (UK) जाएंगे और एक टीम की तरह रहते हुए अलग-अलग शहरों में ट्रेनिंग करेंगे, साथ ही लॉर्ड्स और ओवल की तरह आईकॉनिक क्रिकेट लोकेशन्स पर शूट करेंगे?"
कबीर खान फैक्ट्स के सही होने पर बारीकी से ध्यान देते हैं और इस फिल्म में सुनील गावस्कर के रोल के लिए मुझे विजुअल और ऑडियो रेफरेंस दिए। वह मेरी क्रिकेट प्रैक्टिस पर भी नजर रखते थे, क्योंकि इस तरह की फिल्म में शारीरिक हाव-भाव की अहमियत काफी अधिक होती है। मैं इस बात का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं कि, हम सभी की मेहनत स्क्रीन पर कितना रंग लाएगी।”
कॉमेडी शो 'द कपिल शर्मा शो' लगभग 4 महीने बाद टेलीविजन पर वापसी करने जा रहा है, जिसकी शुरुआत 1 अगस्त से हो रही है। इस शो के पहले गेस्ट सोनू सूद होंगे, जो कि मुश्किल वक्त में प्रवासी मजदूरों के मसीहा बनकर उभरे हैं। साथ ही अपने अन्य अच्छे कामों की वजह से भी इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में हैं।
सोनू ने न सिर्फ मजदूरों को सुरक्षित घर पहुंचाने में मदद की, बल्कि उनकी आवश्यक जरूरतों के लिए उनकी आर्थिक सहायता भी की। हाल ही में उन्होंने प्रवासी रोजगार ऐप भी लॉन्च किया है और कपिल के शो में उन्होंने इसे शुरू करने के पीछे का विचार भी बताया। साथ ही उन्होंने इससे जुड़े कुछ किस्से भी सुनाए।
'इस ऐप को तैयार करने में हमें 2-3 महीने लग गए'
शो के दौरान जब कपिल ने सोनू से नए ऐप के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने कहा, 'मजदूरों के लिए यात्रा का इंतजाम करने के दौरान मैंने उनसे पूछा था कि वो वापस कब लौटेंगे या फिर वो वापस लौटेंगे भी या नहीं। इस पर मुझे सभी से एक जैसा जवाब मिलता था कि यदि उन्हें काम मिला तो वो लौट आएंगे, नहीं तो वो अपने शहर में ही कुछ काम ढूंढ लेंगे। इससे मैं सोच में पड़ गया।'
आगे उन्होंने कहा, 'मैं खुद इंजीनियरिंग का विद्यार्थी रह चुका हूं और इसलिए मैंने अपनी टीम के साथ इस बात पर काम शुरू किया कि इन मजदूरों को ऐप के जरिए कैसे काम मिल सकता है। इस ऐप को तैयार करने में हमें 2-3 महीने लग गए। इस ऐप पर किसी भी राज्य का कोई भी व्यक्ति अपनी कुशलता संवार सकता है और किसी दूसरे राज्य में जाकर अपने लायक काम हासिल कर सकता है। जब तक यह एपिसोड प्रसारित होगा, तब तक इस ऐप के जरिए 1 से 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिल चुका होगा।'
'जिन निर्देशकों के साथ काम किया है वो मेरे लिखने के शौक से वाकिफ हैं'
बेहतरीन अभिनेता होने के साथ ही सोनू सूद अच्छे डायलॉग भी लिख भी लेते हैं। फिल्म 'दबंग' का फेमस डायलॉग 'हम तुममें इतने छेद करेंगे' सोनू ने ही लिखा है। इस बारे में सोनू ने बताते हुए कहा, 'मुझे याद है हम लोग फिल्मालय में शूटिंग कर रहे थे और 'मुन्नी बदनाम हुई' गाने के बाद वो हमारा पहला दिन था। मेरी डायलॉग लिखने में दिलचस्पी रहती है और मैंने जिन निर्देशकों के साथ काम किया है वो मेरे लिखने के शौक से वाकिफ हैं।'
'अभिनव कश्यप और मैं अच्छे दोस्त हैं और हम लोग लेखन में काफी प्रयोग करते रहते हैं। इसी दौरान इस डायलॉग का आइडिया आया, जिसके बाद अभिनव और मैंने मिलकर इसे तैयार कर लिया और इस तरह 'हम तुम में इतने छेद करेंगे...' डायलॉग बन गया। जब सलमान भाई ने इसे सुना तो उन्होंने अभिनव से कहा, 'यह डायलॉग बड़ा कमाल है लेकिन भूलना मत किसने लिखा है।'
'सोनू के डायलॉग से इम्प्रेस हुए सलमान खान'
सोनू ने आगे बताया, ''मुझे याद है हमारी शूटिंग चल रही थी और सलमान भाई और मैं एक साथ कार में सफर कर रहे थे। सलमान भाई ने ऐसे ही मुझसे पूछा, 'सोनू तू लंबा बड़ा है, तू कंफर्टेबल है ना?' मैंने कहा, 'कानून के हाथ और सोनू सूद की लात दोनों बहुत लंबी है भैया।' सलमान इस डायलॉग से इतने इम्प्रेस हुए कि हमने अगले ही दिन इसे लेकर शूटिंग की और इसे फिल्म में छेदी सिंह के डायलॉग में शामिल कर लिया- 'कानून के हाथ और छेदी सिंह की लात, दोनों बहुत लंबी है भैया।"
सेट पर मनाया सोनू का जन्मदिन
इस शो में सभी कास्ट और क्रू ने एक एनजीओ के मेहमानों के साथ मिलकर सेट पर सोनू सूद का जन्मदिन (30 जुलाई) मनाया और प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाने के लिए सोनू की ओर से किए जा रहे प्रयासों की तारीफ की।
सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड केस में सोमवार को महेश भट्ट से दो घंटे पूछताछ हुई। केस में महेश भट्ट का नाम तब जुड़ा जब उनके कैम्प में काम कर चुकीं राइटर सुहृता दास ने सुशांत की मौत के दूसरे दिन ही यह सनसनीखेज खुलासा किया था कि महेश के कहने पर ही रिया ने सुशांत से दूरी बनाई थी। मीडिया में आई इसी खबर के बाद पुलिस पर महेश भट्ट से पूछताछ का दबाव बनना शुरू हो गया था।
सुहृता की पोस्ट ने फैलाई थी सनसनी
सुहृता ने सुशांत की मौत के ही दिन यह पोस्ट किया था। उन्होंने रिया के लिए लिखी इस पोस्ट में बताया था- रिया, जब पूरी दुनिया सुशांत के लिए संवेदनाएं दे रही है। तब मैं तुम्हारे साथ खड़ी हूं। मैंने तुम्हें भट्ट साहब के पास काउंसिलिंग के लिए आते देखा है। तुम्हारे संघर्ष को देखा है। सर ने देखा था इसलिए उन्होंने कहा था उन्होंने सुशांत में परवीन बाबी को देखा। इसलिए उन्होंने कहा था- दूर हो जाओ वरना तुम भी उसके साथ खे जाओगी। तुमने सब कुछ दिया इस रिश्ते को। तुम एक औरत होने के नाते जो कर सकती थीं, तुमने उससे ज्यादा किया। सुहृता ने बाद में यह पोस्ट डिलीट कर दी थी।
40 लाेगों से पूछताछ लेकिन महेश सबसे उम्रदराज
14 जून को सुशांत की मौत के दिन से लेकर 27 जुलाई तक करीब 40 लोगों से पूछताछ की गई है। जिनमें महेश भट्ट सबसे ज्यादा उम्रदराज हैं। 71 साल के महेश् भट्ट अपने एक सहयोगी के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचे थे। सीनियर सिटिजन कैटेगरी में होने के कारण पुलिस ने उन्हें पहले ही संक्रमण से बचने के लिए तैयारी से आने को कहा था। इनसे पहले जिन लोगों को बुलाया गया वे सभी 40-50 की उम्र से नीचे थे।
भट्ट ने पुलिस को दिया ये बयान
महेश भट्ट ने सोमवार 27 जुलाई को अपना बयान पुलिस में दर्ज करवाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने सुशांत को कभी भी सड़क 2 में लीड रोल ऑफर नहीं किया था। उन्होंने यह भी कहा कि वे सुशांत से केवल दो बार ही मिले थे। एक बार 2018 में जब सुशांत उनसे मिलने आए थे और दूसरी बार तब, जब सुशांत फरवरी 2020 में सुशांत की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी। तब वे सुशांत को देखने उनके बांद्रा वाले घर गए थे।
उस दौरान दोनों के बीच सुशांत के यू-ट्यूब चैनल और भट्ट की लिखी हुई किताबों और दूसरी साहित्यिक बातें हुईं थीं। उन दोनों के बीच कभी प्रोफेशन चीजों और फिल्मों से जुड़ी कोई भी चर्चा कभी भी नहीं हुई थी।
महेश के बयान की बाकी बातें
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जॉन अब्राहम की दो फिल्मों की शूटिंग दो-दो महीने आगे खिसक गई है। वे दो फिल्में ‘सत्यमेव जयते 2’ और ‘मुंबई सागा’ हैं। ‘मुंबई सागा’ के लिए वो और पूरी टीम 15 जुलाई को हैदराबाद निकलने वाली थी। वहां रामोजी फिल्मसिटी में आइसोलेट होकर शूट करने वाले थे। मगर प्रोडक्शन से जुड़े लोगों ने बताया कि यह योजना टाल दी गई है। वहां जाने के बजाय मुंबई में ही संबंधित लोकेशन ढूंढी जा रही हैं। इस फिल्म का 10 से 12 दिनों का काम बाकी है। वो सारे ‘एक्शन’ और ‘टॉकी’ सीक्वेंस हैं।
शूट से जुड़े लोगों ने कास्ट एंड क्रू मेंबर्स की टिकटें बुक नहीं की थीं। सब इंतजार में थे कि बेहतर विकल्प हैदराबाद रहेगा या मुंबई। सब 15 जुलाई को हैदराबाद जाकर अगस्त की पहली वीक में वापसी करने को थे। अब मुंबई में तारीख आगे खिसकते हुए 15 अगस्त हो गई है।
मुंबई सागा का असर सत्यमेव जयते 2 पर पड़ा
इसका नैचुरल असर ‘सत्यमेव जयते 2’ पर पड़ा। वह अगस्त के पहले हफ्ते से शूट होनी थी। पर अब फिल्म खिसककर सितम्बर और अक्टूबर जा रही है। इसकी शूटिंग मुंबई में ही होनी थी, मगर ‘मुंबई सागा’ की भी मुंबई में होने के चलते इस फिल्म की लोकेशन को लखनऊ में शिफ्ट किया जा रहा है। ट्रेड पंडितों की मानें तो लखनऊ में फिल्म का बैकड्रॉप रहेगा। इससे फिल्म यूपी सरकार से सब्सिडी लेने लायक भी हो जाएगी।
अभिषेक शर्मा के साथ जुड़े जॉन
इन दोनों के बाद ‘जोया फैक्टर’ की विफलता के बावजूद जॉन अब्राहम का भरोसा अभिषेक शर्मा से नहीं डिगा है। ‘परमाणु’ के तौर पर दोनों हिट फिल्म दे पाए थे। अब जॉन अब्राहम दोबारा अभिषेक शर्मा के साथ फिल्म करेंगे। इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि हो गई है।
दैनिक भास्कर से बातचीत में अभिषेक शर्मा ने कहा, बहुत एक्साइटिंग प्रोजेक्ट है। जॉन अब्राहम ने भी बोला है कि उस टॉपिक पर हिंदुस्तान में फिल्म बनी नहीं है आज तक। उस तरह की कहानी को बतौर एक्टर और प्रोड्यूसर जॉन बेक कर रहे हैं। वह बड़ी बात है। वो ही इकलौते शख्स हैं, जो इस तरह की फिल्म को सपोर्ट कर सकते हैं। एकदम अलग अंदाज की है।‘
इस पर जब जॉन ‘सत्यमेव जयते’ और ‘मुंबई सागा’ के बचे हुए पोर्शन पूरी कर लेंगे, तब हम शूट शुरू करेंगे। कोरोना और लॉकडाउन के चलते सभी सितारों की तारीखें अस्त व्यस्त हो गई हैं। ऐसे में हम इस फिल्म की शूट पर कब जाएंगे, वह जरा अनिश्चित है। कोरोना और लॉकडाउन अगर नहीं हुआ होता तो हम अगले साल की शुरूआत से शूट पर जाते।
जॉनर बिल्कुल नया है। ऐसा करते हुए लोगों ने न तो मुझे और न जॉन को देखा है। शायद हिंदुस्तान में भी लोगों ने उस जॉनर की फिल्में नहीं देखी होंगी। मजा आएगा। परमाणु वीर रस की फिल्म थी। यह ‘अद्भुत रस’ की फिल्म है। फैंटेसी जॉनर की ‘अवतार’ जैसे जॉनर की नहीं। बिल्कुल ‘अद्भुत रस’ की फिल्म में जॉन को लोग देख सकेंगे। दुनिया ही अलग है। जॉन इसको लेकर बहुत एक्साइटेड हैं। वो अपने अंदाज में इसकी अनाउंसमेंट करने वाले हैं।
जॉन के साथ भी इन चार महीनों में फोन पर घंटों बातें हुईं। मिलने की भी प्लानिंग है। जॉन ने इसका वर्किंग टाइटल ‘रे’ रखा है। फाइनल टाइटल क्या होगा, वह तय होगा।
प्रोड्यूसर्स से आजादी में नहीं कटौती
अभिषेक ने यह भी स्पष्ट किया कि वो फिल्मों तक सीमित हैं। ओटीटी के लिए भी उन्हें ऑफर आ रहे हैं, मगर उधर का वो रुख नहीं कर रहे हैं। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि लॉकडाउन के चलते प्रोड्यूसर्स की डिमांड में बहुत बड़े बदलाव नहीं आए हैं। अभी भी लेखक और निर्देशकों को पूरी आजादी दी जा रही है। खासतौर पर हॉटस्टार प्लेटफॉर्म पर काफी अच्छा काम हो रहा है। स्पेशल ऑप्स और आर्या यकीनन बेहतर बने हैं। हॉस्टेजेज बेहतरीन एडेप्टशेन है। नेटफ्लिक्स और अमेजन भी लॉकडाउन में कोई पाबंदी नहीं डाल रहे हैं लॉकडाउन परिस्थिति के चलते।
जेट लैग होने के बावजूद दिलजीत की शूटिंग
सूरज पर मंगल भारी में ढेर सारे अवॉर्ड विनिंग एक्टर्स हैं। मनोज पाहवा, मनोज बाजपेयी, दिलजीत दोसांझ सब कमाल है। सबने खासकर शूट के आखिरी दिन पांच घंटे एक्स्ट्रा टाइम लगाकर फिल्म शूट की। वरना उसी दिन लॉकडाउन अनाउंस हो रहा था। हम भी फंस सकते थे। दिलजीत टूर करके आए थे। जेट लैग था उनको। उसके बावजूद उन्होंने थकान में शूट पूरा किया।
सुशांत सिंह राजपूत के देहांत के बाद से करन जौहर विवादों के दलदल से निकल नहीं पा रहे हैं। नेपोटिज्म को लेकर तो वह आलोचकों के निशाने पर थे ही अब सुशांत की मौत के बाद खेमेबाजी करने के भी आरोप उनपर लगे हैं। पॉपुलर अवॉर्ड शोज में उनकी मनमानी की भी चर्चा रही थी। अब रविवार को दिग्गज पत्रकार और स्तंभकार शेखर गुप्ता ने भी इस ‘मनमानी’ की बात पर पुष्टि कर दी। शेखर का आरोप है कि उस आयोजन में ‘माय नेम इज खान’ की बजाय विक्रमादित्य मोटवाणी की ‘उड़ान’ को ज्यादा नॉमिनेशन मिले तो करन जौहर खासे नाराज हुए थे। उस समारोह में करन के कथित टैलेंट को भी कम बुलाया गया था।
शेखर इंडियन एक्सप्रेस समूह के प्रमुख थे। उस जमाने में वह समूह स्क्रीन अवार्ड नामक पॉपुलर अवार्ड शो आयोजित करता था। एक वैसे ही आयोजन में अवॉर्ड शो के ज्यूरी मेंबर अमोल पालेकर थे। शेखर का तर्क है कि ज्यूरी मेंबर के तौर पर अमोल पालेकर जैसे प्रतिष्ठित और निष्ठावान शख्स थे। करन का ऐतराज अमोल पालेकर जैसे प्रतिभावन की इंटेलिजेंस पर सवाल था। इस पर दैनिक भास्कर ने अमोल पालेकर से संपर्क किया।
उन्होंने हंसते हुए कहा, 'मैं रिएक्ट ही नहीं करना चाहता। जो चीज हो गई, उसके सालों बाद दोबारा बात करने की मुझे जरूरत तो नहीं लगती। ‘उड़ान’ सेलेक्ट हुई थी। जो हुआ था, वह सामने है। वही सत्य है।‘
पॉपुलर अवॉर्ड और नेशनल अवॉर्ड की तुलना से लेकर ऐसे समारोहों में प्रोड्यूसर विशेष की मोनोपॉली चलती रही है या नहीं, उस पर मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता। वह इसलिए कि पॉपुलर अवॉर्ड को शुरू हुए कितना अर्सा गुजर गया। आज वहां होने वाले गड़बड़झाले की डिबेट में मैं हिस्सा नहीं लेना चाहता।
ये अवॉर्ड तबसे हैं, जब खुद मेरा करियर ही शुरू नहीं हुआ था। नेशनल अवॉर्ड का अलग ओहदा और रुतबा था। पॉपुलर अवॉर्ड का इतिहास चालीसों साल पुराना है। उस पर चर्चा आज और अब ही क्यों।‘
शेखर गुप्ता ने लगाए आरोप
साल 2011 में हुए एक अवॉर्ड शो में शाहरुख खान की फिल्म माय नेम इज खान को नॉमिनेशन नहीं दिया गया था। इससे करन और उनकी टीम मेंबर इतने नाराज हुए कि उन्होंने शेखर गुप्ता को कई कॉल करवाए। शाहरुख और करन उस शो के प्रेजेंटर थे ऐसे में काफी संगीन माहौल बन चुका था। मामला सुलझाने के लिए बाद में शाहरुख खान को पॉपुलर च्वाइस अवॉर्ड दिया गया। अवॉर्ड ना मिलने का कारण लोगों ने अमोल पालेकर का ज्यूरी मेंबर होना बताया था।